शब्द का अर्थ
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धूत :
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वि० [सं०√धू (कंपन)+क्त] १. काँपता, थरथराता या हिलता हुआ। कंपित। २. जिसे डाँटा-डँपटा या धमकाया गया हो। ३. छोड़ा या त्यागा हुआ। त्यक्त। वि०=धौत। उदा०—धो दिया श्रेष्ठ कुल-धर्म धूत।—निराला।a वि०=धूर्त।a |
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समानार्थी शब्द-
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धूतना :
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स० [सं० धूर्त] १. किसी के साथ धूर्त्तता करना। २. किसी को ठगना। ३. धूर्ततावश किसी की कोई चीज नष्ट करना। उदा०—अवधू ह्वै कै या तन धूतौं, बधिका ह्वै मन मारूं।—कबीर। |
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धूत-पाप :
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वि० [ब० स०] जिसके पाप धुलकर दूर या नष्ट हो चुके हों। |
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धूत-पाया :
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स्त्री० [ब० स०, टाप्] काशी की एक प्राचीन नदी, जो पंचगंगा घाट के समीप गंगा में मिली थी। |
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धूता :
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स्त्री० [सं० धूत+टाप्] पत्नी। भार्या। |
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धूताई :
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स्त्री०=धूर्तता।a |
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धूतार :
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वि०=धूर्त। |
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धूति :
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स्त्री० [सं०√धू+क्तिन्] १. हिलते रहने या हिलने देने की अवस्था या भाव। २. हठयोग में शरीर शुद्ध करने की क्रिया। |
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धूती :
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स्त्री० [देश०] एक प्रकार की चिड़िया। |
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धूतुक :
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पुं०=धूतू। |
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धूतू :
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पुं० [अनु०] १. कल-कारखाने आदि की सीटी का शब्द। २. तुरही। ३. नरसिंहा। |
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